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आतमना विश्वासी थे कार्यों करो, भावीभावगणीने सहेशो दुःखजो; प्रामाणिकता जाळवो तनधनभोगथी, निष्कामी थै पामो शाश्वतमुखजोः चडती पडतीमा समभावे प्रभुने भजो.... .... ३ शत्रुनुं पण सारं चितवो ने करो, अपराधीउपर करशो उपकारजो; परोपकारो करतां मृत्यु थाय तो, सारामाटे गणी मरशो नरनारजो; सारामाटे सर्व थतुं मन मानजो.... .... .... ४ मनवाणीकायाथी कोइ जीवनी, करो न हिंसा जूठ न बोलो लेशजोः हळीमळीने सर्वसाथजीवन वहो, स्वार्थने मोहे करो न कोथी कलेशनो; सर्वजीकोने आत्मसरीखा मानजो.... .... ५ रोगादिक वखते पण आनंदी रहो, दुःख पडे ते सुखनामाटे थावजो; आसक्तिवण सर्वसंबंको जाळवो, प्रभुविधासे वर्ततां दुःख जायजो; ज्ञानी योगी भक्त बनो नरनारीओ.... .... ६ मनवाणीकायाथी पवित्रता घरो, दयादानदमसंयम पालो सत्यजो क्षमा सरलता मार्दव ब्रह्मने धारशो, चोरी झारी त्यजी करो शुभकृत्यको दुर्गुण व्यसनने दुष्टाचारने त्यामशो..... .... ७
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