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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आतम!! सद्गुणसें सुख पाता. आशावरी. आतम सद्गुणसे सुख पाता, दुर्गुणसे दुःख पाता. आतम. सद्गुणसे किंमत है जनकी, होता जगमख्याता; राज्य रु लक्ष्मीकी किंमत नहि कछु, दुर्गुणी खत्ता खाता. आतम०१ दुर्गुणी व्यसनी चक्रीकुं कोउ, अंतरसें नहिं च्हाता; इसलिये दान दया दम संयम, ज्ञान विवेक महत्ता. आतम० १ सगुण वण तन धन यौवनकी, किंमत कौडी न शाता; शेठ राजा हुये तोभी कुच्छ न, प्रगटत दिल्में अशाता. आतम० ३ न्याय नीति भक्ति उपकार न, क्या दिलमें हरखाता; मोहमें माता जडमें राता, एकदिन नकेमे जाता. आतम०४ यत्र तत्र सद्गुण पूजाता, सद्गुणी नहि पस्ताता; बुद्धिसागरसंतकी संगसे, गुणगण दिल प्रकटाता. आतम०५ प्रभु म्हने कोटि उपाये उगारो. आशावरी. प्रभु म्हने कोटि उपाये उगारो, लखु उपदेशुं भूल हजारो अवगुण दोष अपारो..... ......मभु. बालक उन्मत्त जेवो बनीने, करुं हुं जे जे लवारो; सत्य जूठ सहु जाणे प्रभो तुं, शुद्ध करीने उद्धारो. प्रभु०१ एक पलकमां हें उद्धार्या, मुज सरीखा हजारो मुज दोषो सामु नहीं जोशो, फक्त दया करी तारो. प्रभु०२ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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