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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुष्यो!!! करशो परउपकारो. आशावरी. मनुष्यो !!! करशो परउपकारो, तन धन ऐळे न हारो. मनुष्यो०॥ अवसर मळियो फेर न आवे, मळे न मनु जन्मारो; गयो अवसर पाछो नहीं आवे, करी ल्यो जन्म सुधारो. मनुष्यो०१ दुर्गुण दुर्व्यसनोने निवारो, संतसमागम धारो: दोष उवेखी सद्गुण देखो, दुःखीनां दुःख टालो. मनुष्यो० २ मोह शयताननुं कर्वा न करशो, करशो धर्मविचारो उपकारनो प्रतिबदलो न इच्छो, काम प्रगटतो मारो. मनुष्यो० ३ काया माया अहंता न करशो, धरशो धर्माचारो; दान दया दम सम आचरशो, निर्दोषजीवन गाळो. मनुष्यो०४ परपीडाथी पाप छे मानो, निजपरिणतिने सुधारो; बुद्धिसागरमभुभक्तिथी, निजतमने उद्धारो. मनुष्यो० ५ हमारा वर्तन सबही तमासा. आशावरी. हमारा वर्तन सबही तमासा, कथनी रहेणी सच्ची न झूठी. जलबिचमें ज्युं बतासा..... ........................हमारा० हम सर्वज्ञ नहीं है संतो!!! संतोके हम दासा; लिखे पढे हम बालक खेला. भाऱ्या तोतडी भाषा. हमारा० १ हमकुं हम न पिछान शकेहै, स्वमसरीखा विलासा; दुनिया हमपर कबहु न रखना, गुरुपनका विश्वासा. हमारा०२ गति हमारी प्रभु जानत है, हम है प्रभुका प्यासा; बुद्धिसागरमकटममुका, देखा दिव्य तमासा, हमारा० ३ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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