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हमारा०२
गात गवैया भजनोकुं बहुत, ऐसा न होत है गाना; वही भजनहै अनहदध्वनिका, मन होवत मस्ताना. ज्ञान ग्रहणकर पदगानेसें, शिवपुर झटिति जाना; बुद्धिसागर पक्का जो है, उसका अच्छा गाना.
हमारा०३
हमकुं जाने सो है ज्ञानी.
आशावरी. हमकुं जाने सो है ज्ञानी, जाने क्या हमकुं अज्ञानी हम आतम गुणखानि............. ...........हमकुं. दुनिया शोधे सो अज्ञानी, समजे क्या दुनिया दिवानी; हमकुं जाने सो हमकुंपावे, लेना हमकुं पिछानी. हमकुं० १ हम नहि तनुमनधनजडवस्तु, अग्नि वायु न नभ पानि बुद्धिसागरशुद्धातमकी, अंत नि यह जानी. हमकुं० २
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अब हम अवधूत होकर फिरते.
आशावरी, अब हम अवधूत होकर फिरते, आतम अवधूत मस्तदशामें; नाही जीते नहीं मरते.......
...........अब दुनिया दिवानी च्हाये सो बोलो. हम नहीं कोउसे डरते; आतममें हम मग्न भये है, आतम सहेलकुं करते. अब० १ सबसे न्यारी गति हमारी, उलटी नदी उतरते वर्तन पागल जैसा हमारा, नकल करे सो मरते; अब०२ कबहु हमारी संग न करना, करते सो न उगरते बुद्धिसागर आनंदघन हम, आतम आप समरते. अव०.३
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