________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३४७
मनुष्यो समकित दृष्टि धारो.
राग आशावरी. समकितदृष्टि धारो, मनुष्यो !!! समकित दृष्टि धारो, समकितवण नहीं कोइनी मुक्ति, तप जप मिथ्या धारो; सर्व जगत्नी दया करंतां, उलटी हिंसा विचारो.
__ मनुष्यो !! १ सम्यग्दृष्टि थातां समता, प्रगटे ज्ञान अपारो; अंक विना जेम मिंडां अलेखे, भानु विना अंधकारा.
मनुष्यो . २ समकितवण करणी नहीं लेखे, नासे न मिथ्या विकारो; सम्यग् दृष्टि विना नहीं धर्मी, उघडे न अंतर द्वारो.
मनुप्यो !!! ३ सघळी दुनिया प्रभु माने पण, समकित वण नहीं आरो; जड आतमनुं ज्ञान कर्या वण, नासे न भ्रांति पसारो.
मनुष्यो. ४ द्रव्यभाव सम्यग् दृष्टिनु, शुद्ध स्वरूप विचारो, बुद्धिसागर प्रभु महावीर, श्रद्धा प्रीति धारो.
मनुष्यो . ५
For Private And Personal Use Only