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मनुष्यो !!! गुणर्नु स्वरूप विचारो,
राग आशावरी. गुणतुं स्वरूप विचारो, मनुष्यो ! गुणनुं स्वरूप विचारी गुण अवगुणनो भेद न जाणे, तो फेोगट अवतारा; जड चेतनना स्वाभाविक गुण, जूदा छे निर्धारो.
मनुष्यो !! ? औपचारिक गुण कल्पित मानो, कल्पित गुण व्यवहारो कर्मरूप छे सत्वरजस्तम, शुभ छे सत्वाचारो. मनुष्यो!!! २ सात्विक बुद्धि वृत्ति मिश्रित, निमित्त गुण उपकारो; सात्विक गुणनो पेलीपारे, आतमगुण निर्धारो.
मनुष्यो !!! ३ फानस सम सात्विक गुण वृत्ति, सात्विक छे आचारो; फानसमां दीपक सम आतम, चिदानंदगुणधारो.
मनुष्यो !!! ४ घस्तु स्वभाव ज गुण छे जडनो, आतमनो भित्रधारो; मनवचतनुगुणथी छे जूदा, आतमगुण अवधारो.
मनुष्यो !!! ५ आतमगुण छे आत्मस्वरूपी, जाणे रहे न अंधारो; गुणनो करशो नहीं अहंकारो, प्रगटे दिल उजियारो.
मनुष्यो !!! ६ परगुणने निज गुण नहीं मानो; उपयोगे सत्य धारो; बुद्धिसागर शुद्धातमगुण, ज्ञानानंद, विचारो.
मनुष्यो !!! ७
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