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મે. ૨૪
मातमाटणे भान , અવિનાશીનિરાકારે. મનથી મૃત્યુને આત્મથી જીવન, જાણે બ્રાંતિ નિવારે, બુદ્ધિસાગરમહાવીર છે, સર્વજગત્ અજવાળેરે.
પ્રેમ. ૨૫
आत्मप्रकाश.
आतम २
आतम! तुं है सब उजियारा, घट घट व्यापक आनन्दरूपी. तेरा सब है पसारा .... .... .... .... .... आतम १ सदसद्धर्मो समाया तुजमें, अनंतब्रह्म अपारा, सवमें है तु सबमें नाहि, आपहि आप निहारा. जलधिमें पडी जल क्या शोधुं, शोधे है सो गमारा; आपहि आपकुं देखुं ध्यावं, अलख है रूप अमारा. आतम ३ नाम रूपमें तुहि छुपाया, दिल्में है दिल्दारा; आशक और माशुक तुहि है, गेय तुहि गानारा. आतम ४ लिंग न जाति है कछु तुजमें, दुल्हनने तुं दुल्हारा; लोकालोकमें तुज उजियारा, तुं प्यारी ओर प्यारा. आतम ५ पाया सो तुजमेंहि समाया, उसकुं नहि अवतारा; आपहि बंधत आपहि छूटत, मनसें तुं है न्यारा. आतम ६ सूफी है हम दिलदार साफी, साकी खाकी न्यारा; बुद्धिसागर अनलहक्क तुं, वीर खुदा निर्धारा. आवम ७
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