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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५८ समकित उच्चरं मुनि पासे, नहि माने ते भूले भ्रष्टः द्रव्य क्षेत्र ने कालज भावे, मुनि मण्डल वर्ते जयकार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, वन्दन होजो वारंवार ॥ ५ ॥ सप्त क्षेत्रमां मुनिवर श्रमणी, आव्यां छे समजो ते वात, तुच्छ बुद्धि ने बैर झेरथी, करवो नहि मुनिषदनो घात; मुनिमण्डलना अभ्युदयथी, थाशे जिनशासनउद्धार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, चन्दन होजो वारंवार ।। ६ ।। समकितदाता मुनिवर गुरुजी, जगमां तारो बहु उपकार, विजयपताका जिनशासननी मुनिवरथी मानो निर्धार; वीरनी पाढे मुनिवर घेपे, सूरिवर वेसे छे जयकार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, बन्दन होजो वारंवार ॥७॥ चरण करण सेवनमां शूरा, ज्ञान ध्यानमां काढे काळ, कनक कामिनी त्याग करीने, त्यागी जूठी मायाझाळ; हरिभद्र श्री हेमचन्द्रने, वाचक यशोविजयजी सार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, चन्दन होजो वारंवार ॥ ८ ॥ युगमघानो मुनिवर वेषे, शासन शोभाना करनार, पुण्यवन्तने मुनिवर दर्शन, अमृतसम लागे सुखकार; बुद्धिसागर पञ्चमकाळे, मुनिवर गुरुनो छे आधार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, बन्दन होजो वारंवार ॥ ९ ॥ श्री वीरस्तुतिः सवैया एकतीसा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जय जय वीर जिनेश्वर तारक, सत्य सेव्य व्हारो आधार; नवतवादिना उपदेशे, कीधो छे तें बहु उपकार, क्षायिकभावे निर्मल दर्शन, ज्ञाने शोभो श्री जिनरायः For Private And Personal Use Only
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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