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जैन बान्धवो हळीमळीने, सम्पीने चालो संसारः ॥ ७ ॥ मिथ्यावाद दूर करीने, धार्मिक सारां कीजे काज, धर्म फैलाव करो जैनो, तेथी रहेशे जाति लाज; बुद्धिसागर जैनोदयनां, कार्यों करवां थइ हुशियार, जैन बाraat हळमळीने, सम्पीने चालो संसार ॥ ८ ॥
मुनि सद्गुरु स्तुति.
सवैया एकतीसा •
नमो नमो मुनिवर सुखराजा, बैरागी त्यागी शुरवीर, पञ्च व्रतोने मेमे पाळे, धर्म ध्यानमां वर्ते धीरः देश देश विहार करीने, उपदेशे छे नर ने नार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, वन्दन होजो वारंवार ॥ १ ॥ सङ्घ चतुर्विधमां जे म्होटा, जिनशासनमां जे सुलतान, जैनोन्नतिमां जीवन गांळे, धर्मरत्ननुं देता दान; साचं जंगम तीर्थ मुनीश्वर, भवोदधि तारे नरनार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, वन्दन होजो वारंवार ॥ २ ॥ श्रावकने मुनिवरनुं अन्तर, छिल्लरने सागर उपमान, परम प्रभुमां मुनिवर भाख्या करता पिण्डस्थादिक ध्यानः त्रिज्ञानी पण वीर जिनेश्वर, दीक्षा लेवे मुनिनी सार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, वन्दन होजो वारंवार ॥ ३ ॥ मुनिवर वैयावृत्ये राचो, करशो मुनिवरनुं बहु मान, मुनि विना नहीं सङ्घ कहावे, आवश्यकमां मुनि भगवान, सुरि वाचक पण मुनिवर वेषे, सङ्घ चतुर्विधना आधार, नमो नमो मुनिवर सुखराजा, वन्दन होजो वारंवार ।। ४ ।। व्रत उच्चरवां मुनिनी पासे, आगममां भाख्युं छे स्पष्ट,
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