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कोण हं ने कोण मारु तत्व ए विचारजे ॥ १ ॥ बाल ख्याल तजी भाइ धर्मनी गणी सगाई, वीजन टेकनेक हृदयमा राखजे; चोरी जारी चुगलीने निन्दा दोष परिहरी, सत्यटेक धारी कदी जूटुं नहि भाखजे; विनय विवेक घरी वृद्धजन अनुसरी, नीति रीति दुनीआमां टेकथी जमावजे; वीर जिन वचननी सत्यता धरीने दील, धीनिधि चेतन प्रभु उघथी जगाव जे. मनहरछंद. चेत जीव चित्तमांहि संसार असारमांहि, म्हारु व्हारु वारी सह धर्मचित्त धारजे; विषयने विषसम गणी भाइ ज्ञानथकी, महा दुःखदायी काम चित्तथकी वारजे; जैन धर्म धारवाने भवदुःख वारवाने, ज्ञानि मुनि सङ्ग करी तत्त्वने विचारजे; महा पुण्य योगे मळ्यो मनुष्यनो भव अरे, वारंवार जीव कह पोताने तुं तारजे. प्रीतिमांहि भीति जाणी राख नीति धर्मनी तुं संयोग छे जेनो तेनो वियोग विचारजेः अलख अरूपी हि अन्तरमां जाणी लेइ, मोह शत्रु सेनाने तुं ज्ञान खड्ने मारजे; समय विचार सह समजीने चेतन तुं, उपादेय एक हारु रूप अवधारजे; धीनिधि चतुर चित्त समजीले सानमांहि, पामीने मनुष्यभव हवे नहि हारजे .
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