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संयत सद्गुरुजी पञ्च महाव्रत धारी, कञ्चन कामिनी त्याग करे अनगारी, जाणे ते भव मुक्ति पण जिनवर दीक्षा, व्यवहारे वा विण नहि आतमशिक्षा, घरबार तीने मुनिवर संयम साधे संयम सेवाथी आतम अनुभव वाधे. सद्गुरु मुनिवर छे वन्दनना अधिकारी नहि गुरु गृहस्थी संयमना गुण धारी, महातीर्थ मुनिवर जंगम जे आराधे ते श्रावक साचो रत्नत्रयीने साधे.
६ दर्शनपदस्तुतिः
राग उपरनो. नमो दर्शन चेतन स्पर्शन शिव मुखकारी दर्शनथी सम्यग् ज्ञान लहो जयकारी, व्यवहार अने निश्चयथी दर्शन कहीए. बेनी प्राप्तिथी शाश्वत मुखडा लहीए. दर्शनथी भवनी नियमा सूत्रे भाखी, सहु आगम ग्रंथो दर्शनना छे साखी, नमो दर्शन पद भक्तिथी दर्शन पावो, दर्शन भक्तिथी दर्शन मोह हठावो
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७ ज्ञान पदस्तुतिः
गग उपरनो. प्रणमो प्रणमो नाणस्स सदा उपकारी,
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