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विषयथी लाजने मूके, विषयथी कीनने चूके, विषय छे मोहनी वाडी, विषय छे क्लेशनी खाडी. ॥६॥ विषयनो कृप छ उंडो, विपयनो धूप छे भुंडो, विषयनी घेन छे गांडी, विषयनी बुद्धि छे आडी. ॥७॥ विषयमा व्हाल छे खोटुं, विपयथी कोइ नहि मोटुं, विषय- वृक्ष कांटाळु, विषयमां दुःखने भालु. ॥८॥ विषयनो संग छे पापी, विषयथी मुख शिर व्यापी, विषयथी दुःखना दरिया, विपयथी कोइ ना तरिया.॥९॥ विषयनी वात छे घहेली, विपयथी दुःश्वनी हेली, विषयना संगने त्यागो, बुद्धयब्धि दीलमां जागो. ॥ १० ॥
विवेक.
गझल. विवेके सत्य परखातुं, विवेके दुःख सहु जातुं विवेके सद्य छे मुक्ति, विवेके सब छे युक्ति. विवेके जाणीए टाणु, विवेके जाणीए नाणुं; विवेके ब्रह्म रस चाखे, विवेके सत्यने राखे. ॥२॥ विवेके थाय छे शान्ति, विवेके जाय छे भ्रान्ति; विवेके सत्यने परखो, नही को तेहना सरखो. ॥ ३ ॥ विवेके सत्य छे मीटुं, विवेके तत्त्वने दीटुं विवेके धर्मने पाळे, विवेके पापने खाळे. ॥४॥ विवेके मूढता नासे, विवेके ब्रह्म तो भासे; विवेके जात छे उंची, विवेके ज्ञाननी कुंची. विवेके मानवी सारो, विवेके मानवी प्यारो विवेके दुःखडा जावे, विवेके शर्मने पावे,
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