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विवेके मानवी ज्ञानी, विवेके मानवी भानी: विवेके भूल ना थावे, विवेके सद्गुणो आवे. विवेके जाय छे हांसी, विवेके जाय छे फांसी; विवेके मानने छंडे, विवेके मोहने खंडे. विवेक उच्चत्ता आवे, विवेके नीचता जावे: विवेके सन्मति धारे, विवेके दुर्मति वारे. विवेके धन्य छे वाणी, विवेके धन्य छे माणी; विवेके कर्मने टाळे, विवेके कूळ अजवाले. विवेके सत्य नहि छानुं, विवेके शर्म लेवानुं; विवेके सन्तनी यारी, बुद्धयब्धि शीख छे सारी. ॥ ११ ॥
लघुता गुण महिमा.
गजल.
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लघुता सर्वथी मोटी, प्रभुता जाणजो खोटी; लघुतामां प्रभुता छे, प्रभुतामां लघुता छे. लघुता सुख देनारी, लघुता सर्व गुण क्यारी; लघुता सर्वथी मीठी, लघुता सन्तमां दीठी. लघुता मानने खंडे, लघुता दुःखने दंडे. लघुता उच्चता आपे, लघुता दुर्मति कापे. लघुता ज्ञानने आपे, लघुता ध्यानमां व्यापे . लघुता सर्वमां पहेली, बुद्धयन्धि धारजे बहेली.
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लघुता विषे.
छप्पय छंदनी चाल. लघुतामां प्रभुताय बसे छे ज्ञानी गावे, लघुता गुणनुं पात्र लघुताथी गुण आवे;
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