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चिदानंदनी ल्हरियो चित्त वासे. खरा इश देवेश दातार सेवा, अमारे सदा मोक्षना एज मेवा; प्रभुध्यानथी प्रेमनो भेद पायो, प्रभुप्रेमथी सत्य आनंद आयो. सदा सेवना देव त्हारी भली छे, प्रभुप्रेममां चित्तवृत्ति हळी छे; प्रभुप्रेममां धीनिधि विर{ हूं, सदा हस्त जोडी प्रभु हुं नम ई.
अन्तरप्रदेशध्वनिगान.
गझल. जगत्ने आंखथी देखें, जगत्ने ज्ञानथी लेखें, जगत्ने देखतां शान्ति, जगत्ने देखतां भ्रान्ति. ॥१॥ जगत्ने देखतां जोगी, जगत्ने देखतां भोगी, जगत् तो देखतां साचुं, जगत्तो देखतां काचुं. जगत्ना भाव छे खोटा, जगत्ना भाव छे मोटा. जगत्मा प्रेमनी वीणा, जगत्ना भाव छे झीणा. जगत् छे दुःखनी छाया, जगत्मां कर्मथी काया, जगत्ना खेल खेलाडं, जगत्मां तत्वना लाडु. जगत्मां मोहनी बाजी; जगत्मां मूढ छे राजी, जगत्ना जोषमा दोषो, जगत्मां कोणन रोशो. ॥५॥ जगत्मां राग ने द्वेषो, जगत्मां प्रेम ने क्लेशो, जगत्मां कोण छे मोटा, जगत्मा कोण छे छोटा. ॥६॥
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