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भजन पद संग्रह,
भाग २ जो. ॥ ॐनमः नवपदस्तुतिः॥
॥ १ अरिहंतपदस्तुति ॥ धन्य धन्य दीवस ने धन्य घडी छे आजे-ए राग.
अरिहंत नमो भगवंत सदा सुखकारी, तीर्थंकर नामोदयथी जग जयकारी, त्रिज्ञान सहित तीर्थकर गर्भे आवे, इन्द्रादिक मुरगिरि गर्भोत्सव विरचावे. ॥१॥ प्रभु जन्मे त्यारे सर्वे इन्द्रो आवे, प्रभु ग्रही करतलमां सुरगिरिपर लेइ जावे, जन्मोत्सव करीने प्रभुने गृह पधरावे, नंदीश्वर दर्शन करी कृतारथ थावे. ॥२॥ भोगावली कर्मो क्षीण थातां जयकारी, दीक्षोत्सवपूर्वक संयम ले हितकारी, स्थिर ध्यान धरीने घातिक कर्म खपावे, केवलज्ञाने जिन समवसरण सुहावे. ॥ ३ ॥ भवि आगळ धर्म कथीने तीर्थज थापे, रत्नत्रयी लक्ष्मी औदयिक वाणी आपे, नवतत्वोने षड्द्रव्योने जिन भाखे, जिनवचनामृतनो स्वाद भवि जीव चाखे. ॥४॥
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