________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उपदेश्युं छे, पण समज्याविना अन्तरमां अन्धारुं छे. आत्मस्वरुप - रमणतामां चित्तवृत्ति विश्रांत थतां सहजानन्दनी खुमारी प्रगटे छे. उपादेयबुद्धि अने उपादेयनुं आचरण महा दुर्लभ छे. हेय, ज्ञेय अने उपादेयनुं यथार्थ स्वरूप समजवाथी सत्यविवेक प्रकटे छे. शब्द, ज्ञान अने वस्तु ए त्रण प्रकारना पदार्थ छे, ज्ञानरूप अनि सर्व कर्म बाळीने भस्म करे छे. खरखर सत्यमुख अन्तरमां छे.
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
For Private And Personal Use Only