________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१३९
ॐ नमः
राग मराठी साखी. श्री संखेश्वर पार्वजिनेश्वर, जिनशासन जयकारी, धरणेन्द्र पद्मावती देवी, स्हाय करो निर्धारी; जिनभक्तिमां प्रेम करो नरनारी, भक्ति दुःख हरनारी. जिन. १ भक्तिथी जिनपद्वी मळे छे, भक्ति मुख करनारी; प्रभुभक्ति सहु कर्म हरे छे, कुमति कलंक निवारी. जिन. २ अष्टापदपर रावण आव्यो, भक्ति करी बहु भारी; नाटकथी तीर्थंकर पदने, पाम्यो जग उपकारी. जिन. ३ भगवतीसूत्रे जिनवरभक्ति, भाखी छे गुणकारी; प्रेमावेशे भक्ति करे तस, जाउं हुं बलिहारी. जिन. ४ भक्ति करतां केवल प्रगटे, भक्ति सद्गुण क्यारी; भक्तिरसमां सुख अनंतुं, भक्ति शिवपुरबारी. जिन. ५. दोष निवारी सद्गुण धारी, माया फंद विसारी; जिनवर भक्तिमां जीव भळतां, शिवपुरनी तैयारी. जिन. ६ पञ्चमकाळे भक्ति मोटी, भक्ति मनमां प्यारी; बुद्धिसागर भक्ति सारी, आनंद मंगलकारी. जिन. ७
ॐ नमः आत्मज्ञान.
मनहरछन्द. चेतनना ज्ञानविना चेतनना ध्यान विना, चेतनना भानविना चतुर चुकाय छे चेतनना ज्ञानथकी निजनो प्रकाश थाय.
For Private And Personal Use Only