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अज्ञानिनो भूडो छे अवतारजो. __ संघ. ॥ १८ ॥ आज काल पण मुनिवर बहु विद्वान् छे, यथाशक्तिथी पाळे पंचाचारजो; जिनवाणीनो राग घणो छे दीलमां, संयमना साधनमा साचो प्यारजो. संघ || १९ ॥ मुनि विना नहि श्रावक देखो सूत्रमां, पुष्टालंबन सद्गुरु मुनि निर्धारजो; गुरु विना नहि ज्ञान कदापि पामीए, मुनि गुरुनो साचो जग आधारजो. संघ. ॥ २० ॥ जगमां मोटो मुनिवरनो उपकार छे, मुनिदर्शनथी कर्म कलंक कटायजो; प्रत्यक्ष उपकारी मुनिवरने वंदीए, जन्म जरानां दुःखडां दूरे जायजो. संघ. ॥ २१ ॥ दुनियामां उपकारो सर्वे बहु कह्या, सहुथी मोटो सदुपदेश उपकारजो; सदुपदेशे सत्यासत्य जणावता, धन्य धन्य मुनिवरनो जग अवतारजो. संघ. ॥ २२ ॥ साधु वेषे एक समयमा सिद्धता, अष्टोतर शत मुनिवर गुणना पात्रजो; पन्नवणा ने भगवतीमांहि भाखियुं, करवी साची मुखकर संयम यात्रजो. संघ. ॥ २३ ॥ ज्ञानी ध्यानी आत्मार्थी मुनिवर्ग छे, मात पिता बंधुथी अधिका लेखजो; दर्शन दुर्लभ मुनिवरनां कलिकाळमां, जैन धर्मना नायक मुनिवर देखजो. संघ. || २४ ॥
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