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मानी मोह ममताए रात्री दिवस वहन करुं छं त्यां सुधी हुँ निर्दय छ एम पोते शुद्ध अर्थ ज्ञानी ग्रहे छे. ज्ञानीने कोई पापी कहेतो ज्ञानी तेनो सानुकूळ अर्थग्रही विषाद पामतो नथी. ज्यां सुधी पाप स्थानकोने हुँ सेवं छं त्यां मुधी हुँ पापी छु, एम धारी ते पुरुष मने पापी कहेतो हशे, वळी पापी एक बीजा प्रकारनो छे, रागादि शत्रुओनो नाश करवा जेनी बुद्धि थइ छे ते पण एक पापी छे तेवो हुँ छ एम धारी कहेतो हशे तेथी मारे केम खोटुं मनमा लाव_ जोइए. एम ज्ञानी विचारी पाप कर्मथी निवृत्त थाय छे. ___ज्ञानी एम विचारे छे के हुं अमूर्तछं, पुद्गल द्रव्य मूर्त छे. हुँ स्वाभाविक छ पुद्गल विभाविक छे, हुं पवित्र छं पुद्गल अपवित्र छे, मारो शाश्वत स्वभाव छे. पुद्गल वस्तु अशाश्वत जाणवी. मारुं ज्ञानादिरुप छे. पौद्गलिक वस्तु तो जड छे, अचेतन छे, मारुं अचल स्वरुप छे, पुद्गलनो चलित स्वभाव छे. एकरुपे पुद्गल वस्तु रहेती नथी. पूर्ण गलनरुप पुद्गळ छे. ज्ञानदर्शनचारित्रमय मारुं स्वरुप छे. पुद्गळद्रव्य वर्ण गंध रसादि रुप.छे. अने वर्ण गंध रस स्पर्श थकी हुं भिन्न . हुँ अजर छु. हुं भाषारुप पुद्गळ रहीतछु, आ भाषा तो पुद्गल छे कालद्रव्यथी भिन्नई. धर्मास्तिकायथी हुँ भिन्न . अधर्मास्तिकायथी हुं न्यारोछु, हुं मारा अनंत गुणे करी पूर्णहूं. पोताना गुणो कर्मावरणथी तिरोभावे छे तेने आविर्भावे करवा तेज धर्म जाणवो,
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