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माप्त करावे छे, पोते निर्मोही थाय छे अने अन्यने पण निमोही करे छे, केटलाक. गुरु पांदडा. समान छ, केटलाक गुरु कागळ समान छे, एवा गुरुओ पोतेज तरी शके छे, केटलाक गुरु आगबोट समान छे, हजारो लोकोने तारे छे. भिन्न भिन्न प्रकृतिवाळा मनुष्योने एक गुरु उपर गुरु बुद्धि रहेती नथी. मेनु जेवू कर्म, जेवी भवितव्यता तदनुसार गुरुओनी प्राप्ति थाय छे. आसन्न भव्यात्माओने सुगुरु उपर भक्ति बहुमान तथा श्रद्धा रहे छे. जेना उपर गुरुनी कृपा होय छे ते संसार समुद्रने सत्वर तरी जाय छे का छे के दुर्लभो विषयत्यागो दुर्लभं तत्त्वदर्शनम् ॥ दुर्लभा सहजावस्था सद्गुरोः करुणां विना ॥१॥
श्री सद्गुरुनी कृपाविना विषयोनो त्याग थवो दुर्लभ छे. तत्व साक्षात्कारनो असंभव छे-अने स्वाभाविको सहजार वस्था पामवी पण दुष्कर छे. गुरुं यो मानवैरन्यैः समं पश्यति मोहतः॥ न तस्यास्मिन् भवे लोके सुखं नैव.परत्र वा ॥२॥
जे प्राणी श्री सद्गुरुने अज्ञानथी मदोन्मत्त अवस्थायी सामान्य मनुष्यना जेवो गणे छे, तेने आ लोकमां तेम पर. लोकमा सुख प्राप्त थतुं नथी.
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