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नथी, माटे ज्ञान अने क्रिया के वडे करी मोक्ष थाय छे. कोइ माणस लाड करवानी अगर कंइ दवा बनाववानी विधि जाणतो होय अने जो ते लाडु अने दवा बनाववानी सामग्री संपादन करी क्रिया करतो लाडु तथा दवा बनावी शके. पण क्रिया करे नही तो ते बे बनी शके नही. कां छे के
यतः
जाणतो विहुतरिउं काइअ जोगं न जुंजइ जोउ। सो बुझइ सोएणं एवं नाणी चरण हीणो ॥१॥
भावार्थ-तरवू जाणे छे छतां समुद्रमां अगर नदीमां पडी जो तरवानी क्रिया करे नही अने हाथ पग हलावे नहो तो जेस तर जाणनार पोते बुडे ए प्रमाणे ज्ञानी पण मोक्षनो उपाय जाणे छे छतां ते प्रमाणे वर्ततो नथी तो ते पण संसार समुद्रमां बुडे छे. ए प्रमाणे उपदेश रत्नाकर ग्रंथमां सहस्रावधानी श्रीमुनिसुन्दर सुरी महाराज कहे छे. वळी अष्टकमां कई छे केइयं नाणं किया हीणं । हया अन्नाणओ किया । पासंतो पंगुलो दढो धावमाणोअ अंधओ॥१॥
क्रिया रहित नाण हणाएवं समजवं, अने ज्ञान रहित क्रिया पण हणाएली समजवी जेम देखतो छतो पंगु दग्ध थयो, अने दोडतो छतो अंध जेम बळ्यो. तेम एकली क्रिया
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