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मानशो तो अरुपी एवो जे इश्वर ते यकी शी रीते शरीर घारी रुपी जीवोनी उत्पत्ति थइ शके ? वळी अमो पुछीएछीए के इश्वरने बनावनार कोण छे ? उत्तरमा कहेशोके कोइ नथी तो जीवोने बनावनार पण कोइ नथी एम अमे कहीए छीए. जीवोने इश्वरे बनाव्या एम मानवामां कंइ पण प्रमाण नथी.'
आ दुनियां अनादि काळथी छे. दुनियाने बनावनार कोइ नथी. जीवोने बनावनार कोइ नथी. कर्म अनादि काळथी जीवनी साथे लाग्युं छे.
जीवोने सुख दुःख इश्वर आपी शकतो नथी. कर्म यकी जीव दुःख पाये छे अने एक शरीरथी बीजा शरीरमा प्रवेश करे छे.
आत्म स्वरुप जाण्युं बीजाने कही शकातुं नथी. जे जाणे छे तेज जाणे छे. माटे आत्म स्वरुप जाणवानो विशेषे करी प्रयत्न करतो. कोइ मतवादी एम कहे छे के आत्मा मस्तकमां रहे छे, कोइ मतवादी एम कहे छे. के आत्मा नाभिमां नवकमळनी पाखडी छ त्यां रहे छे कोइ एम कहे छे के आत्मा सर्व जीवोनो एक छे एम मतवादीओनुं अज्ञानदशाए करी मानवं छे ते खोटं छे.
केटलाक एम कहे छे के आत्मानी परमात्मा. अवस्था एटले परमेश्वर सरखी अवस्था. थती नथी, एम जे वादी कहे छे ते पण खोडं छे, आत्मा कर्म थकी रहित थवाथी
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