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रमा भटके छ, अने: महा गैरव दुश्रवः पामेछे, माटे ते संसारमा भटके नहीं तेम कर जोइए. आश्रधनी करणी. कर काथो संसारमा पडे छे. अने संवरनी करणी करवायी मोक्ष मुख मळो शके छे, आरीरमां आत्मा व्यापीने हेलो छे अने से शरीर थकी भिन्न छे. आत्मानुं शुद्ध चैतन्य लक्षण, के, जेवा मोक्षमा परमात्माओ निर्मळ छे, तेवो आपणो आत्मा पण निर्मळ छे, पण कर्मथी हाल कलंकित थयो छे. आत्मा नित्य अने अनित्य छे. एकांते आत्माने नित्य मानतां पण मिथ्यात्वप' लागी शके अने एकांते आत्माने अनित्य मानतां पण मिथ्यात्व लागी शके छे.
केटलाक लोको एम माने छे के जीवोने बनावनार परमेश्वर छे पण ते मानवू व्यर्थ छे.
जो जीवाने बनावनार परमेश्वर कहेवाय तो इश्वरने बोलु कलंक लागी शके अने इश्वरपणुं नष्ट थइ जाय छे, प्रथम सो अमो पुछीए छीएके जीवोने बनाववानुं इश्वरने शुं प्रयोमान हतुं ? शुं जीवो बनाव्याविना इश्वरने गमतुं नहो ? भने ज्यारे जीवो नहोता बनाव्या त्यारे इश्वर शुं करतो हती ? एबे पक्षमाथी एकनो उत्तर पण आपी शकाशे नहीं ? वळी जीवोने जो इश्वरे बनाव्या एम जो तमो कहेशो तो अमो पुछीएछीए के इश्वर रूपी छे के अरुपी ? जो रुपी कदेखो तो कर्मकलंकित थयोः कारणके पुद्गल द्रव्यना संबंअविना रुपीपणुं घटी शकतुं नथी. अने जो इश्वरने अरुपी
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