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इत्यादि वाक्य सत् संगम करवा प्रेरणा करे. छे अने दुष्टजन संगतिनो त्याग करवा कहे छे. पण जेवो जीवनो भाग्योदय होय तेवी संगति मळे छे. बावा, खाखी, जोगी, संन्यासी,, पादरी, ढुंढक विगेरे के जे वीतराग वचन विरुद्ध उपदेश आपेः छ तेमनी संगति वर्जवी जोइए, अने नाटक प्रेक्षण विगस्थी आत्मा परभावमा रमी पापनी राशि संपादन करे छे माटे ते जोबां नहि ? विशेष शुं ? आत्मस्वभावथी पर पुद्गल स्वभाव तेमां रमवू ते परसंगति छे, आ संसारने विषे आ आंखोए करी जे वस्तु देखाय छे, ते पुद्गल वस्तु छे, तेनी संगति करवी आत्माने अयोग्य छे, कारण के जेनी संगति करीए, तेधुं फळ पामीए, जडनी संगत करीए तो जडपणुं पामीए माटे पुद्गल द्रव्यनी संगति करवी नहीं, एमां सार छे. व्यभिचार त्याग करवो जोइए, जे लोको मिथ्यात्वी होय तेनी संगति करवी नही !
दुहा. अनि पासे तापतां तापज लागे जेम ॥ सद्गुरु वाणी सुणतां अनुभव जागे तेम ॥७॥ ___ भावार्थ-जेम अग्नि पासे तापतां आपणा शरीरने मात्र लागे छे. तेम सद्गुरु वाणी सांभळतां आत्मस्वरुपना अनुभव जागेछे सद्गुरु महाराजनी वाणी सांभळतां मालुम पड़े थे। आ आत्मा अनादिकाळथी कर्मना संयोगे चतुर्गतिरूप संसा
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