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बोलतां कोई जातनी अडचण पडती नथी, केवल ज्ञाने करी दरेक पदार्थोर्नु यथातथ्य स्वरुप कथन करे छे. रुषभादिक चोवीस तीर्थकरनो हाल विरह छे. चोवीसमा श्री महावीर स्वामीनु हाल शासन चाले छे.
श्री महावीर स्वामीए पवित्र मुखथी कथन करेला सत्शास्त्रोनो हाल आधार छे, तथा तेमनी प्रतिमानां दर्शन करतां तेमनी यादी आवे छे. तेनो आधार छे. तीर्थकरनी प्रतिमा शान्त छे, तेथी तेमना सामु जोतां प्रथम तो. भव्यात्माना हृदयमां शान्तवाहिका गंगानो प्रादुर्भाव थाय छे. मनमां एम विचार थाय छे के अहो ! जे भगवानना अंगुठाना संचारथी मेरु पर्वत कंप्यो, एवा बलबान् हता, तोपण अंते त्रीश वर्ष बाद मुनिपणुं ग्रहण कयु. अहो जेनी राजाओ तथा इंद्रो चाकरी बजावे छे, ते भगवान् अरण्यमा एकला फर्या, अरे चेतन ? तुं क्यारे राग द्वेष रहित थइ शमभावे मुनिपणुं ग्रही, तेवी अवस्था पामीश? जे भगवान्ने अनेक सुगंधि चूथी इंद्रादिक देवताए स्नान कराव्यु, ते भगवान् वगडामां, शून्यागारमां, द्रव्य स्नान रहित, विचर्या, अरे जीव ! तुं शं न्हाइ धोइ द्रव्य स्नानथी पोताने पवित्र मानी मकलाय छे ? भगवान् अनंत शक्तिना धणी छतां तेमने अनार्य जनोनी कठोर वाणीने क्षमाथी सहन करी. अरे जीव ! तुं क्यारे बीजानी कठोर वाणीने सहन करीश ? कोइ असभ्य वचनथी आक्रोश करे छे, त्यारे तुं केम लाल
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