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वोने श्री तीर्थकरनां दर्शन थाय छे, भगवान्नी वाणी मेघ ध्वनिनी पेठे गाजे छे. षड्द्रव्य स्वरुप भगवान् कथन करे छ, नामादि निक्षेपार्नु कयन करे छ, उत्पाद व्यय अने ध्रुव ए त्रिपदीनु कथन करे छे. नैगमादि सात नयनु परुपण करे छे. सप्तभंगी प्ररुपे छे. जीवा जीवादिनव तत्त्वतुं स्वरुप द्रव्य क्षेत्र, काल, भावथी वर्णवे छे. श्राद्ध, श्रमण धर्मर्नु स्वरुप कथन करे छ. द्रव्य गुण पर्यायर्नु स्वरुप प्ररुपे छे. द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, चरणकरणानुयोग, धर्मकथानुयोग, ए चारे अनुयोगे करी व्याख्या करे छे. नित्यानित्यादि आउपक्षे करी श्रीतीर्थकर महाराजा षड् द्रव्यर्नु स्वरुप वर्णवे छे.
दिगंबर-केवली देशना देता नथी. फक्त तेमना मस्तकमां ॐकारनो ध्वनि नीकळे छे तेने देवता दुंदुभीमां लइ समजावे छे.
श्री सद्गुरु-श्री केवळी भगवान्ने मनयोग, वचन योग, तथा काययोग ए त्रण योग छे, वचन योगथी देशना श्री तीर्थकर भगवान् आपे ते युक्ति युक्त वात सिद्ध ठरे छे, ॐकार शब्दमांथी रुपी अरुपी पदार्थ- स्वरुप नीकळी शके नहीं, देवता अवधिज्ञाननी धणी छे, लोकालोकना भावोन वर्णन करी शके नहीं, मुखथी बोलवानी शक्ति छतां श्री तीर्थंकर भगवान् केम बोले नहीं ? अने ज्यारे मुखथी बोले नहीं त्यारे ॐकारनी ध्वनी केम करे ? ते जरा माध्यस्थताथी विचारो. श्री तीर्थकर भगवान् देशना दे छे. मुखथी
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