________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१११ प्रहाल अरिहंत भगवान् क्यां छे ?
उत्तर-हे भव्य, हाल अरिहंत भगवान् महाविदेह क्षेत्रमा छे. पन्नरक्षेत्रमा तीर्थकर ( अरिहंत भगवान् ) उत्पन्न थाय छ पांच भरत, पांच एरवत, अने पांच महाविदेह ए पन्नर क्षेत्रमा तीर्थकर भगवान उत्पन्न थाय छे. ए पन्नर क्षेत्र अहीद्वीपमा
आवेलां छे. अढी द्वीपनी ब्हार तीर्थकर भगवान् उत्पन्न थता नथी. पांच महाविदेहमां सदाकाळ चोथो आरो वर्ते छे. अने त्यां तीर्थकर भगवान पण सदाकाल वर्ते छे. पंच भरत, अने औरवतमां सदाकाल शाश्वत वर्तता नथी. आ भरतक्षेत्रमा चोवीश तीर्थकर थइ गया. हाल पंचम आरो छे, तेथी तीर्थकरनो विरह छे.
श्री तीर्थकर भगवान् बार गुणे करी संयुक्त होय छे लेनां नाम.
श्लोकः अशोकवृक्षः सुरपुष्पवृष्टिदिव्यध्वनिश्चामरमासनं च । भामंडलं दुंदुभिरातपत्रं सत्प्रातिहार्याणि जिनेश्वराणां । १ ।
ए, अष्ट महा प्रातिहार्य तथा ज्ञानातिशय, वचनातिशय, पूजातिशय, अपायापगमातिशय, ए चार अतिशय सहित
For Private And Personal Use Only