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'आगमलार. जीवने कर्मन लागवू अनादि कालर्नु छ पण ते किवारेक छुटशे माटे भव्य जीवने पुद्गल संबंध अनादि सांत छे. तथा निश्चयनयेकरी छ द्रव्य स्वभाव परिणाम परिणम्या छे ते परिणामीपणो सदा शाश्वतो छे ते माटे अ. नादि अनंत छे अने जीव तथा पुद्गल बेहु द्रव्य मलि बंध भाव पामे छे ते पर परिणामीपणो छे ते परपरिणामिपणो अभव्य जीबने अनादि अनंत छे अने भव्य जीवने अनादि सांत छे अने पुद्गलनो परिणामी पणो ते सत्ताये अनादि अनंत छे अने पुद्गलनो मिलवो विछडवो ते सादि सांत के एटले जीव द्रव्य पुद्गल साथे मिल्यो सक्रिय के अने पुद्गल कर्मथी रहित थाय तेवारे जीव
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