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३६ आगमसार. द्रव्य अक्रिय छे अने पुद्गल द्रव्य सदा स. क्रिय छे.
हवे एक, अनेक-पक्षथी निश्चय ज्ञान कहेवाने नय कहे छे, सर्व द्रव्यमां अनेक स्वभाव छे, ते एक वचनथी कह्या जाय नहीं माटे माहोमांहे नये करी संक्षेपपणे कहे छे, तिहां मूल नयना बे भेद छे, एक द्रव्यार्थिक बीजो पर्यायार्थिक, तेमां उत्पाद व्यय पर्याय गौणपणे अने प्रधानपणे द्रव्यनो गुण सत्ताने आहे ते द्रव्यार्थिक नय कहिये तेना दश भेद छे, सर्व द्रव्य नित्य छ, द्रव्यार्थिक २ अगुरु लघु अने खेत्रनी अपेक्षा न करे मूल गुणने पिंडपणे ग्रहे ते एक द्रव्यार्थिक ३ ज्ञानादिक गुणे सर्व जीव एक सरीखा छे माटे सर्वने
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