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आगमसार.
एवीज. रीते अधर्मास्तिकायमां पण चौभंगी जाणवी अने आकाश द्रव्यमा गुण तथा खंध अनादि अनंत छे बीजों भांगो नथी अने १ देश २ प्रदेश तथा ३ अगुरुलघु सादि सांत छे तथा सिद्धना जीवनी साथ संबंध ते सादि अनंत छे.
पुद्गल द्रव्यमा गुण अनादि अनंत छे. जीव पुद्गलनो संबन्ध अभव्यने अनादि अनंत छे.* भव्य जीवने अनादि सांत छे पुदलना खंध सर्व सादि सांत छे जे खंध बांध्या ते स्थिति प्रमाणे रही खरे छ वली नवा बंधाय छे माटे सादि अनंत भांगो पुद्गलमां नथी. * एसंततिपणे जाणनो-आ शब्दो जुनी प्रतमा छे.
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