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आगमसार.
कालद्रव्यमां गुण चार अनादि अनंत छ, पर्यायमां अतीतकाल अनादि सांत छे अने वर्तमानकाल सादि सांत छै; अनागतकाल सादि अनंत छे. ए कालनुं स्वरूप ते सर्व उपचारथी छे. ए रीते कालद्रव्यमां चौभंगी कही.
हवे द्रव्य क्षेत्र काल तथा भावमां चौभंगी कहे छे. जीव द्रव्यमा स्वद्रव्यथी ज्ञानादिक गुण ते अनादि अनंत छे.स्वक्षेत्रे जीवना प्रदेश असंख्याता छे ते सादि सांत छे तप्तोदक उद्वर्त्तनापणे फरे छे ते माटे अथवा अवगाहना माटे सादि सांत छ पण छतीपणे तो अनादि अनंत छे. स्वकाल अगुरु लघुने गुणे अनादि अनंत छे अने अगुरु लघु गुणनो उपजवो
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