________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अध्यात्मगीता. १३१ कारण कार्य धाम. एटले वली सिद्ध केहवा छे ? के उपादान कहतां पोतानो आत्मा; अने गुण तेहिज कारण कहतां पोताना ज्ञानादि अनन्त गुण कारण रूप प्रगट्या छे. अने कार्य कहतां अनेक ज्ञेय पदार्थ जाणवादेखवा रूप पर्यायनो उत्पाद व्यय समय २ होय रह्यो छे. अने एहवी रीते धाम कहतां घर, एटले पोताना आत्मस्वरूपने विष निवास प्रते करयो छे; एटले ए त्रणे एक समय एकता पणे प्रणमे छे. शुद्ध निक्षेप चतुष्टय जुत्तो रत्तो पूर्णानन्द. एटले वली सिद्ध केहवा छे ? तोके शुद्ध निक्षेप चतुष्टय जुत्तो रत्तो. एटले शुद्ध कहतां निर्मल, अने निक्षेप चतुष्ठय कहेतां चार निक्षेपे करी
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only