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अध्यात्मगीता.
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स्वरूप जाणवो. अने वली सिद्ध परमात्मा केहवा छ ? ॥ ४१ ॥
चाल:सादि अनंत अविनाशी अप्रयासी परिणाम । उपादान गुण तेहिज कारण कारय धाम ॥ शुद्ध निक्षेप चतुष्टय जुत्तो रत्तो पूर्णानंद । केवल नाणो जाणै तेहना गुणनो छंद ॥४२॥ ___ अर्थ:-सादि अनन्त अविनाशी अप्रयासी परिणाम. एटले वली सिद्ध केहवा छे ? के, सादि अनन्त. एटले सादि अनन्त कहां
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