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अध्यात्मगीता.
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अकंप अडगपणा थकी, अने अचल कहतां चले नहीं वो स्थिरता रूप भाव, अने अभंगी कहतां एहवी रीते आव्यो थको तें भावनो भंग प्रते न थाय. अने एहवी रीते ते भावनो भंग प्रतें न थाय त्यारे, पंच लघु अक्षरे कार्य कारी. एटले पंच लघु अक्षर कहतां चउदमा गुणस्थाने जीव पोहच्यो त्यारे; अ इ उ ऋ लु, ए पंच लघु अक्षर रूप उच्चार करें, एटला कालमां कार्य कारी कहतां, ते जीव पोतानो सर्व कार्य प्र नीपजावे. अने एहवी रीते सर्व कार्य प्रर्ते केम नीपजावे ? तोके, भवोपग्राही कर्म संतति विडारी, एटले भवोपग्राही कहां भवने आश्रीने. अने कर्मनी संतति कहतां कर्म रूप
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