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अध्यात्मगीता. जे रत्नत्रयी, रस राच्यो चेतनराय, एटले चेतनराय कहतां चेतन महाराज रूप जे राजा, अने रस कहतां तेहना रसने विषे, अने राच्यो कहतां एकत्वपणे वो. अने एहवी रीते एकत्वपणे वो त्यारे, ज्ञान क्रिया चक्रे चकचूरी सर्व अपाय. एटले ज्ञान क्रिया चक्रे कहतां ज्ञान क्रिया रूप चक्रे करीने घाती कर्म रूप अपाय कहतांजे वेरी जीवने अनादि कालना शत्रुभूत थईने लागा हता, तेहने चकचूरी कहतां चूरी बालीन अप करे, अने एहवी रीते चूरी बालीन क्षय केम करे? तोके, कारक चक्र स्वभावथी साधे पूरण साध्य, एटले कारक चक्र कहतां कर्ता १ कारण २ कार्य ३ संप्रदान ४ अपादान ५ अने अधि
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