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अध्यात्मगीता.
करण ६ ए पटकारक रूप जे चक्र तेणे करीने, साधे पूर्ण साध्य. एटले साधे पूर्ण साध्य कहतां ते जीव पोतानुं कार्य प्रत साधे कहतां सम्पूर्ण नीपजावे. त्यारे शिष्य कहे-ए षट् कारक रूप चक्रे करीने पोतानो कार्य प्रतें केम साधे ? त्यारे गुरु कहे-कर्ता जीव ? अने कारण रूप समकित गुण २ अने कार्य करवो छे केवल ज्ञान रूप ३ अने अपादान कहतां कर्म रूप अशुद्धताना आवर्ण टलता जाय ४ अने संप्रदान कहतां गुणश्रेणी रूप निर्मलता संपजती ( प्रगटती ) जाय ५ अने आधार कहतां ए केवल ज्ञान रूप कार्यमें, छोये (छकारक) आधारभूत जाणवा ६ एणी रीते षट्कारक रूप चक्रे करी ते जीव पोतानो
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