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अध्यात्मगीता.
वर्त्ते छे, तेहना जेटला गुण केवली भगवानना परुपवा आवे ते वक्तव्य, अने केवली भगवानना परववामें न आवे ते अवक्तव्य. एहवी रीते निश्चय व्यवहार नय वक्तव्य, अवक्तव्य रूप पक्षे करी जीवनो स्वरूप जाणवो ८ इति आठ पक्षे करी जीवन स्वरूप ओलखवो.
पद
अने पद संभाले. एटले एवं पोतानो संभाले कहतां जाणे, ओलखे है, संभाले
अने एहवी रीते पोतानो पद कहतां जाणे, ओलखे त्यारे, पर घरे तेह मति
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केम वाले एटले पर घर कहनां शुभाशुभ विभाव दशा रूप जे जड़ स्वभाव तिहाथकी मति निवारी ने पोतानो ज्ञानादि अनन्त गुण रूप जे घर तिहां जेहनी मात मते वर्त
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