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अध्यात्मगीता.
तानो सत्य पणो वर्ने छे. एटले ए सत्य में असत्य, अने असत्य में सत्य पक्षनो विचार निश्चय नयनें मते करी जाणवो।६।
हिवे निश्चय व्यवहार नये वक्तव्य, अवक्तव्य रूप पक्षे करी जीवनो स्वरूप प्रते देखावे छे. एटले उदय भाव ने जोगे करी व्यवहार नयने मते जीव पहिले गुणस्थान सुं मांडी यावत् तेरमा चवदमा गुणस्थान पर्यंत वर्ते छे, ते जीवना जेटला गुण केवली भगवानना परुपवार्म आवे ते वक्तव्य अने केवली भगवानना परुपवामें न आवे ते अवक्तव्य. । ७। ____ अने निश्चय नयनें मते सिद्ध परमात्मा गुणस्थान वर्जित लोकनें अंते विराजमान
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