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अध्यात्मगीता.
अनके पिण कहिये; अनेए गुण पर्यायने प्रदेश अनेक छे, पिण तेहमां जीवपणो एक सरीखो छे. माटे एहवी रीते अनेकमें एक पण कहिये. एटले हवी ते निश्चय नय करी एक में अनेक, अने अनेकर्मे एक पक्षनो विचार जाणवो । ४ ।
हिवे व्यवहार नयने मते जीवमें सत्य असत्य पक्ष मते देखा है. एटले व्यवहार नयने मते जीव पोते पोधनाच्य, क्षेत्र: काल, भावपणे करीने सत्य छे. अने परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल, अने परभाव पण करीने असत्य छे. एटले व्यवहार नयने मते द्रव्यथकी जीव द्रव्य जे गतिथे पोते विराजमान थको वर्त्ते छे १ अने क्षेत्र थकी कहतां जेटलो
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