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अध्यात्मगीता.
क्षेत्र पोते अवगाहि कहतां मर्यादारूप पोतानो करीने रोक्यो छे २ अने कालथकी कहता समय रूप पोताना आऊखा प्रमाणे काल जाय छे. ३ अने भाव कहतां सर्व जीव पोते पोताना शुभाशुभ रूप भावमें रह्यो वर्ते छे. एटले एहवी रीते व्यवहार नयने मते सव जीव पोते पोताना द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावे करीने सत्य छे. अने परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल, परभाव पणे करीने असत्य छे, पिण ए असत्य पणामे पोतानो सत्य पणो वनैं छे. एटले सत्य में असत्य, अने असत्य में सत्य पक्षनो विचार व्यवहार नयने मते करी जाणवो । ५।
हिवे निश्चय नय करी जीवमे सत्य
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