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अध्यात्मगीता.
भासे भाव । तेहथि भिन्न अरोचक रोचक आत्म स्वभाव ॥ सम्यक्त भावे भावे आत्म शक्ति अनंत । कर्म नाशनो चिंतन नाणे ते मतिवंत ॥ २४ ॥
POORE.
अर्थ:-चेतन अस्ति स्वभाव में जेह न भास भाव. एटले चेतननो अस्ति स्वभाव कहतां शुद्ध निश्चय नय पोतानी आत्म सत्ता ने विष झानादि अनंतगुण रूप स्फाटिक रत्न समान अस्ति स्वभाव रह्यो छे; तेहना कोई काले नास्ति पणो नथी; जहन भासे भाव एटले जेह न भासे भाव कहतां ए अस्ति
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