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अध्यात्मगीता.
स्वभाव में शुभाशुभ रूप विभाव दशानो नास्ति पणो जाणको एटले ए शुभाशुभ रूप विभाव दशा जीवने अनादिकालनी लागी छे, ते व्यवहार नयनें मते, पिण नास्तिपणे जाणवी. तेहथि भिन्न अरोचक रोचक आत्म स्वभाव. एटले तेहथि भिन्न कहतां ए शुभाशुभ विभाव दशा रूप कर्मथकी भिन्न कहतां जुदो छ; अने अरोचक कहतां ए विभाव दशाथ की एहवी दृष्टि बाला जीवनो अरुचि भाव वर्ने छे त्यारे शिष्य कहे रुचि किहां वर्ने छे ? तोके रोचक आत्म स्वभाव, एटले रोचक आत्म स्वभाव कहतां एहबी रीते जामपण रूप रमण जेहनें थयो छे, तेह जीवनें एक शुद्ध चिदानंद परमज्योति पूर्णब्रह्म
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