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कां तथा घणी प्रतोमां तो संक्षेपे एटलं छे जे छ द्रव्यमां एक जीव द्रव्य कारण छे. पांच द्रव्य अकारण छे ए पण वात घणी रीतें मलती छे. माटे जे बहुश्रुत कहे ते खरुं. मारी धारणा प्रमाणे जीवद्रव्य कारण अने पांच द्रव्य अकारण एम संभवे छे " निश्वयनयथी छए द्रव्य कर्त्ता छे अने व्यवहारनये एक जीवद्रव्य कर्त्ता छे. बाकी पांच द्रव्य अकर्त्ता छे. छ द्रव्यमां एक आकाशद्रव्य सर्वव्यापी छे, अने पांचद्रव्य लोक व्यापी छे. छए द्रव्य एक मां एकठां रह्यां छे पण एक बीजा साथे मली जाय नहीं एछ द्रव्यनो विचार कहो.
हवे एकेका द्रव्यमां एक नित्य, बीजो
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आगमसार.
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