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आगमसार.
केमके धर्मास्तिकाय चालवामां साह्य आपे छे. अधर्मास्तिकाय थिर रहेवामां साह्य आपे छे. आकाशास्तिकाय अवकाश आपे छे. पुद्गलास्तिकाय जीवने मधुरादि, सुरभिगंधादिक तथा सकोमल स्पर्शादिक भोगपणे थाय छे तथा कालद्रव्य ते जीवने जरा, बाल, तारुण्य अवस्था दिएछे, तथा अनादि संसारी जीव भवस्थिति परिपाक छतां एक अंतमुहूर्तकालमां सकलकर्म निर्जरी मोक्ष पहोंचे तिहां सिद्ध अवस्थायें अनंतोकाल पर्यंत जीव अनंता सुखने विलसे माटे कालद्रव्य पण जीवने भोग थाय छे. पण एक जीव द्रव्य कोइने भोग आवतो नथी माटे अकारण कयुं अने पांच द्रव्य भोग आवे माटे कारण
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