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अध्यात्मगीता. दान कहतां शुभाशुभ रूप पर पुद्गलनो दान देईने तेहने विष दान पणो मान्यो २ अने भोग कहतां शुभाशुभ रूप पर पुद्गलना भोग मिल्या, तेहने विष भोगपणो मान्यो ३ अने उपभोय कहतां शुभाशुभ रूप पर पुद्गगलना उपभोग मिल्या, तेहने विष उपभोग पणो मान्यो ४ अने ए दानादिक चार लब्धिने विषे वीर्यनी शक्ति हती ते फोरववा मांडी. एटले ए पंच लब्धि स्परूप अनुजाइ पणे जीव भूल्यो. त्यारे पर अनुजाइ पणे अवली ( उलटी ) फोरवया मांडी. अने एहवी रीते अवली फोरखवा मांडी, त्यारे जोगे थाये पर कार. एटले जोगे कहतां तेहने जोगे करीने जीव परनो कर्ता थयो अने परनो कर्त्ता
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