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अध्यात्मगीता.
जीव मुक्तपर कहतां कर्मथकी मुकाय छे. अने एहवी रीते कर्मथकी मुकाय त्यारे शक्त, व्यक्त, अरूपी एटले शक्त कहतां अनंता गुण पोतानी आत्मसत्ताने विषे शक्ति पणे रह्या छे, ते व्यक्त कहतां व्यक्तिरूप अरूपी पणे प्रगट थता जाय छे. एटले ए किहा किहा जीव ? एहवा रीते जाणपणो कोने थयो ? एहवी रीते भासन कोनें थयो ? एहवी रीते रमण कोण कर छे ? के सम्यकत्वी देश विरति सर्व विरति. एटले सम्यक्त्वी कहतां चोथा गुण स्थान वाला जीव, अने देश विरति कहतां पांचमा गुण स्थान वाला जीव, अने सर्व विरति कहतां छठा सातमां गुण स्थान वाला जीव, तेहने एहवी रीते
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