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अध्यात्मगीता.
ढाल:इणि परे शुद्ध सिद्धात्म रूपी । मुक्त पर शक्ति व्यक्त अरूपी ॥ समकिती देशबति सर्व विरती । धरे साध्य रूपे सदा तत्त्व प्रीति॥९॥
अर्थ:--एटले बली जीव केहवो छ ? के इग परे शुद्ध सिद्धात्म रूपी. एटले एणी परै शुद्ध कहतां निर्मल कर्म रूप लेप थकी रहित छे. अने सिद्धात्मरूपी कहतां निश्चय नयने मते जीव सत्ताये सिद्ध समान अरूपी छे. मुक्तपर शक्त व्यक्त अरूपी एटले मुक्त पर कहतां जे समय जे जीवनो एहवी रीते शुद्ध भासन रूप उपयोग वर्ते ते समय ते
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