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अध्यात्मगीता.
स्वभाव। वर्तमान परिणतिमय व्यक्ते ग्राहक भाव॥ शब्द नये निज सत्ता जोतो इहतो धर्म । शुद्ध अरूपी चेतन अणग्रहतो नव कर्म ॥८॥ ____ अर्थः- रिजु सुये विकल्प परिणामी जीव स्वभाव. एटले रिजु सुये कहतां ऋजुमूत्र नयने मते अने विकल्प परिणामी जीव स्वभाव. एटले जीव नो स्वभाव कहेतां जीव विकल्प रूप परिणामी भावने ग्रहे छे. वर्तमान परणतिमय व्यक्त ग्राहक भाव. एटले वर्तमान केहतां वर्तमान समय जे जीवनो जेहवो उपयोग वर्ते ते समय ते जीवने, ए नयना मत वालो तेहवो कहि बोलावे. शब्द नये
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