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गुणस्थानक विचार.
छडे आवे. इहांथी पाछो पंडे नचढे तो पाछो पांच गुणठाणे आवे, पांचमाथी चोथे आये. जो सायक ममकिती होए तो चोथे गुणठाणे टके अने उपशम समकिती होए तो चोथाथी पडी बीजे सास्वादन गुणठाणे थईने पहेले मिथ्यात्व गुणठाण आवे कोई एक जीव
मुहूर्त रहे, कोइक जीव देश आणो पुद्गल परावर्त मिथ्यात्वीपणे रहे पले समकित पामे, एअगीयारमो गुणठाणो एक जीव च्यारवार पामे, एक जीव एकभवमांहि बेवार पामे, पहनी स्थिति जघन्य एक समय उत्कृष्ट अंर्तमुहूर्तनी छे. एअगीयारमो, हवे बारमो क्षीणमोह गुणठाणा ते जे जीव आठमा गुणare कर्म खपावतो तात्र वीज निरसल
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