________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुणस्थानकविचार.
उपयोग शुद्ध शुक्र ध्यानने वले नवमे दशमे गुणठाणे मोहनी कर्म खपावी बारमे गुणठाणे आवे, एह शुक्र ध्याननों बीजो पायो एकत्ववितर्क अप्रविचार ध्यावे, एहथी आयु बले धनघाती तीन कर्म ज्ञानावरणीय दर्शनावरणीय अंतराय खपावे, एहनी स्थिति अंर्तमुहूतेनी छे. १२ । तेरमो गुणठाणो सयोगी केवली जे जीव वारमाने अंते ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी, अंतराय, ए खपे केवलज्ञान केवलदर्शन प्रगटे, लोक अलोकना सर्व भाव अतीतकाल अनागतकाल वर्तमानकाल सर्व प्रत्यक्ष आत्मवले इन्द्रिय विना जाण देखे, इहां जे अंतगड केवली होवे ते केवली समुदूधात करीने मोक्ष जाय अने जे केवलीनो
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only